सरकार द्वारा चलाई गई रोडवेज बसाें में पहले दिन यात्रियों ने यात्रा करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। अम्बाला डिपो से 6 बसें चलाई गई हैं। इनमें पंचकूला, कैथल अाैर करनाल के लिए बस चलाई गई, मगर शुक्रवार काे पंचकूला जाने के लिए सिर्फ 4 यात्रियों ने ही ऑनलाइन बुकिंग करवाई थी। उन यात्रियों काे लेकर एक बस चली गई। पंचकूला के लिए दूसरी बस जानी थी, मगर यात्री नहीं हाेने से नहीं गई। पंचकूला से वापस अाने वाले बस में 3 यात्री अाए। इसी तरह कैथल और करनाल जाने के लिए ताे एक भी सवारी ने ऑनलाइन बुकिंग नहीं करवाई, जबकि करनाल से अम्बाला आई बस में 2 सवारियां ही थी। कैथल से अाने वाली बस में भी सवारियां कम थी। बुकिंग कम हाेने का कारण यह भी है कि ज्यादातर ऑफिस के कर्मचारियों द्वारा काम घर से ही किया जा रहा है और अन्य यात्री भी काेराेना के कारण यात्रा करने से परहेज ही कर रहे हैं। वहीं, बुकिंग कम हाेने का कारण यह भी है कि रूट के बीच छाेटे शहराें में बसें नहीं रूक रही हैं।
अम्बाला रोडवेज टीएम संजय रावल ने बताया कि पंचकूला जाने के लिए 4 सवारियाें ने ऑनलाइन बुकिंग करवाई थी, जबकि 3 यात्रियों ने वापस अाने वाले बस के लिए बुकिंग करवाई थी। पंचकूला के लिए दाे में से एक बस गई थी। करनाल व कैथल के लिए काेई बस नहीं चली।
रात को 11 बजे फोन के बाद कालाआंब से पैदल सत्संग भवन पहुंचे श्रमिक
कालाआंब से श्रमिकों और उनके परिवारों का पलायन जारी है। प्रशासन मजदूरों को फोन कर राधा स्वामी सत्संग घर नारायणगढ़ एवं शहजादपुर में बुला रहा है। जबकि प्रशासन के पास मजदूरों को भेजने या रखने की व्यवस्था नहीं है। फिलहाल इन सभी मजदूरों और उनके परिवारों को सत्संग घरों में रखा गया है।
बुधवार रात 11 बजे से श्रमिक काला आंब से पैदल सत्संग घर पर पहुंच रहे हैं। इनमें से अधिकतर मजदूरों का पंजीकरण हो चुका है। इसलिए इन्हें फोन कर सत्संग घर में बुलाया जा रहा है। जबकि प्रशासन के पास इनके खाने पीने की कोई व्यवस्था नहीं है। नारायणगढ़ सत्संग घर में अब खाना नहीं बन रहा है। इसके बावजूद अम्बाला से खाना मंगवाकर मजदूरों को दिया जा रहा है। मजदूरों के छोटे- छोटे बच्चों के दूध और डायपर तक का ख्याल सेवादार रख रहे हैं। गुरुवार को सत्संग घर में श्रमिकों और उनके परिवारों को मिलाकर करीब 700 लोग इक्ट्ठा हो गए हैं। बताया जा रहा है कि इन सभी को भेजने की व्यवस्था शनिवार को की जाएगी। एक शैड के नीचे 700 लोग इक्ट्ठा हो गए हैं। सबसे बड़ी समस्या सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की है, जिसके लिए आज तक मंथन होता रहा है। पोल्ट्री उद्योग भी लॉकडाउन में मंदी की मार झेल रहा है। जिस कारण फार्मों पर काम करने वाले मजदूर भी अपने घरों का रुख कर रहे हैं। शहजादपुर सत्संग घर में गुरुवार को करीब 250 मजदूर व उनके परिवार हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
source https://www.bhaskar.com/local/haryana/ambala/news/no-buses-were-found-for-the-buses-that-ran-for-the-common-people-buses-fell-short-for-the-workers-here-127304687.html
0 Comments