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किसानाें ने बोनस के लिए गेहूं स्टॉक किया था, अब बाेनस काे लेकर असमंजस के चलते फसल बेचने मंडी पहुंचे

क्षेत्र के सभी आठ खरीद केंद्रों में गेहूं खरीद का कार्य सुचारू रूप से चल रहा है, वही गेहूं पर बोनस मिलने के चक्कर में जिन किसानों ने फसल को स्टॉक किया था। अब वह किसान भी खरीद केंद्रों में फसल को बेचने के लिए पहुंच रहे हैं। सरकार गेहूं की फसल पर बोनस देगी या फिर नहीं, यह स्पष्ट नहीं हो रहा। अधिकारियों की तरफ से भी उन्हें फसल पर बोनस दिए जाने को लेकर कोई ठोस जवाब नहीं मिल रहा। इसलिए वह अपनी फसल को अब बेच रहे हैं।
किसान राजेश कुमार, तिलकराज, प्रमोद, मनोज कुमार, अभिषेक, नाथीराम, सुखबीर सिंह व सलिंद्र का कहना है कि बोनस के चक्कर में उन्होंने अपनी फसल को स्टॉक किया था। एक एकड़ की फसल को स्टॉक करने के लिए लेबर को 500 रुपए दिए थे। वहीं फिर से फसल को ट्रॉली में भराने के लिए एक हजार रुपए देने पड़े। पहले ही गेहूं की फसल का झाड़ कम निकाला, वहीं बोनस के चक्कर में लेबर का अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ा, जिससे किसानों के ऊपर दोहरी मार पड़ रही है।
खरीद केंद्राें में यूपी से पहुंच रहा गेहूं| इस बार सरकार पहले उन किसानों की फसल को खरीद रही है, जिन किसानों ने अपनी गेहूं की फसल का पंजीकरण कराया हुआ है। लेकिन इसमें भी बड़े फर्जीवाड़े की बात सामने आ रही है। अनाज मंडी में कार्य करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि किसानों ने अपनी गेहूं की फसल का पंजीकरण तो करा लिया, लेकिन अधिकारियों की ओर से पंजीकरण की गई भूमि की वेरिफिकेशन नहीं की गई। किसानों द्वारा जिस भूमि में गेहूं की फसल का पंजीकरण करवाया है क्या सच में उस भूमि में गेहूं की फसल खड़ी है या फिर नहीं। अगर किसी किसान के पास 20 एकड़ भूमि है। उसने 10 एकड़ में गन्ना व 10 एकड़ में गेहूं की फसल लगाई तो उक्त किसान ने 20 के 20 एकड़ में गेहूं की फसल दिखा पंजीकरण करा लिया है। यूपी की साइड से गेहूं की खरीद कर उसे हरियाणा की अनाज मंडियों में बेचने वाले कुछ दलाल भी इसमें शामिल हैं, जो इस समय खूब चांदी कूट रहे हैं। रात के समय अनाज मंडियों में गेहूं की फसल पहुंच रही है।
 इन लोगों को क्षेत्र के लोकल लोगों का आईडी प्रूफ दिया गया है, ताकि रास्तें में इन्हें कोई परेशानी न हो, जबकि क्षेत्र के किसान अभी अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे है। प्रदेश के बॉर्डर से लगती अनाज मंडियों में इस समय यूपी की गेहूं की फसल बिक रही है। जिसकी कीमत 1600 से 1700 रुपए क्विंटल है। अगर इस खेल की उच्च स्तरीय जांच हो तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आएगा।

साढ़े तीन लाख क्विंटल गेहूं की हो चुकी खरीद
मार्केट कमेटी सचिव जयसिंह ने बताया कि अब तक क्षेत्र के सभी आठ खरीद केंद्रों में साढ़े 3 लाख क्विंटल गेहूं की खरीद हो चुकी है। 30 जून तक गेहूं खरीद हाेगी। अभी तक सरकार की ओर से उनके पास फसल पर बोनस देने से संबंधित कोई पत्र नहीं आया है। वहीं, यूपी की गेहूं यहां की मंडियों में बिकने पर उन्होंने कहा कि यह सभी लोकल किसान हैं।



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source https://www.bhaskar.com/local/haryana/ambala/yamunanagar/news/the-farmers-had-stocked-the-wheat-for-the-bonus-now-due-to-confusion-with-the-banas-they-reached-the-market-to-sell-the-crop-127284090.html

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