Ticker

6/recent/ticker-posts

Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

Responsive Advertisement

जमीन मालिकों और ठेकेदारों में बढ़ी खटास, ठेके की दी गई राशि मांग रहे हैं वापस

प्रदेश सरकार व कृषि विभाग द्वारा इस बार पंचायती जमीन पर धान न लगाने व अन्य जमीन पर केवल 50 फीसदी हिस्से पर धान की फसल लगाने के आदेश जारी होने के बाद अब जमीन मालिकों व ठेकेदारों के बीच आपसी तकरार बढऩे लगी है। यहीं समस्या पंचायतों के सामने आ रही है। ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसान धान की पाबंदी के बाद जमा करवाई गई ठेका राशि को वापस मांग रहे हैं। उनका कहना है कि धान की फसल के बिना महंगे दाम पर जमीन ठेके पर लेना घाटे का सौदा है। जमीन मालिकों व ठेकेदारों में आपसी खटास पैदा होने के साथ विवाद भी बढऩे लगे है। ठेकेदार ठेका राशि वापस मांग रहे है तो जमीन मालिक जमा राशि वापस देने का तैयार नहीं।
जिले में ज्यादा धान रतिया में ही होता है। यहां 73 राइस शेलर है। रतिया का धान अरब देशों तक चावल के रुप में भेजा जाता है। धान की खेती ज्यादा होने के कारण जमीन के ठेकों में भी काफी बढ़ोतरी हुई। आम तौर पर 40 हजार रुपये प्रति एकड़ ठेके पर दी जाने वाली जमीन के ठेकों के रेट 75 हजार रुपये प्रति एकड़ तक पहुंच गये। अब धान पर रोक के चलते जमीनों के ठेकों में भी कमी आने का अनुमान है। एक एकड़ से 60 से 70 हजार रुपसे का धान व 40 हजार रुपसे का गेहूं निकल आता है व अन्य फैसलों के भाव धान की अपेक्षा कम है।

90 फीसदी जमीन पर होती धान

^16 जून से पहले लगी धान पर पानी ज्यादा खपत होता है। एक किलो चावल पर 6 हजार लीटर पानी की खपत होती है। मई जून में गर्मी के कारण पानी वाष्प बन कर उठ जाता है। जो कि व्यर्थ है। इस बार 50 फीसदी से ज्यादा धान नहीं लगने दी जाएगी। पिछले साल की गिरदावरी से रिकार्ड का मिलान कर के ही निर्णय लेंगे। किसानों से धान न लगाने बारे शपथ पत्र लिये जा रहे है।'' - सुभाष हुड्डा, खंड कृषि अधिकारी, संदीप सिंह, कृषि विकास अधिकारी|

एसडीओ बोले- धान पर पानी की खपत ज्यादा होती है

रतिया में कुल 1 लाख 9 हजार 50 एकड़ काश्त की जमीन है। जिसमें 95 हजार एकड़ में हर साल अकेली धान की फसल होती है जबकि बाकी जमीन पर पशुओं का हरा चारा, नरमा, गन्ना मक्का की फसल बोई जाती है। इसमें 2292 एकड़ जमीन पंचायती विभाग की है। अधिकांश जमीन पर धान की ही फैसल होती है। इस बार ग्राम पंचायतों ने पिछले साल की तुलना में 5 प्रतिशत ठेका राशि बढ़ाकर जमीनों की बोली करवा दी जिसके रुपये भी जमा हो गए। ऐसे ही ठेके पर जमीन लेने वाले किसानों ने गेहूं का सीजन निपटते ही ठेका राशि जमीन मालिकों को दे दी। धान पर रोक के कारण अब रुपये वापस मांगने पर विवाद बढ़ रहे है।

अचानक फैसले से हमें समस्याएं आ रही हैं : प्रधान
^हमने पिछले साल से 5 प्रतिशत राशि बढ़ाकर जमीन ठेका पर दे दी है। अब पाबंदी के चलते जमीन ठेका पर लेने वाले किसान अब राशि वापस मांग रहे है जबकि हमने राशि जमा करवा दी।'' - जितेंद्र साधा, प्रधान, सरपंच एसोसिएशन, रतिया|



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Increased distress among landowners and contractors, asking for contract amount back


source https://www.bhaskar.com/local/haryana/hisar/fatehabad/news/increased-distress-among-landowners-and-contractors-asking-for-contract-amount-back-127303005.html

Post a Comment

0 Comments